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अफ्रीकी बच्चों में मलेरिया दवा प्रतिरोध बढ़ने से चिंता का विषय

अफ्रीकी बच्चों में मलेरिया दवा प्रतिरोध बढ़ने से चिंता का विषय

अफ्रीका में बच्चों के लिए मलेरिया के इलाज में बड़ी चुनौती सामने आ रही है। एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि मलेरिया परजीवी अब आर्टेमिसिनिन नामक महत्वपूर्ण दवा के प्रति प्रतिरोधी होते जा रहे हैं। गंभीर मलेरिया का इलाज इस दवा से किया जाता है, पर अब इसके असर में कमी आना चिंता का विषय है।

मलेरिया उपचार में नई चुनौतियां सामने

मलेरिया की वजह से दुनिया भर में हर साल लाखों लोगों की जान जाती है, खासकर अफ्रीका में, जहां इसका संक्रमण दर सबसे अधिक है। आर्टेमिसिनिन जैसी दवाओं के प्रतिरोधी होने से मलेरिया के प्रभावी इलाज में कठिनाइयाँ बढ़ सकती हैं।

यूगांडा अध्ययन के चौंकाने वाले निष्कर्ष

अफ्रीकी बच्चों में मलेरिया

इस अध्ययन में यूगांडा के 100 बच्चों को शामिल किया गया था, जिनमें सभी को गंभीर मलेरिया था। परिणामों में देखा गया कि 11 बच्चों में आर्टेमिसिनिन के प्रति आंशिक प्रतिरोध पाया गया। अध्ययन में यह भी पता चला कि जिन बच्चों में प्रतिरोध देखा गया, उनमें आनुवंशिक बदलाव थे जो दवा प्रतिरोध से जुड़े होते हैं।

अध्ययन के अनुसार, 10 बच्चों में, जिन्हें आर्टेमिसिनिन और लूमेफेंट्रिन से इलाज के बाद ठीक मान लिया गया था, एक महीने के भीतर मलेरिया के लक्षण फिर से उभर आए। इससे संकेत मिलता है कि पारंपरिक इलाज अब उतना प्रभावी नहीं रहा।

उपचार के वर्तमान तरीके और उनकी सीमाएं

गंभीर मलेरिया के इलाज के लिए वर्तमान में आर्टेमिसिनिन आधारित उपचार का उपयोग किया जाता है। पहले इस बीमारी के लिए क्विनाइन का इस्तेमाल होता था, लेकिन आर्टेमिसिनिन अधिक प्रभावी साबित हुआ, जिससे इसे प्राथमिक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।

पर अब विशेषज्ञों का मानना है कि आर्टेमिसिनिन के प्रति प्रतिरोधी संक्रमण बढ़ने से इसे फिर से प्रभावी बनाना मुश्किल हो सकता है। इंडियाना यूनिवर्सिटी के डॉ. चैंडी जॉन ने चेताया कि यदि स्थिति खराब होती है तो क्विनाइन पर लौटना एक “पीछे हटने जैसा कदम” होगा।

अफ्रीका में मलेरिया प्रतिरोध के तेजी से फैलने का डर

दक्षिण-पूर्व एशिया में एक दशक पहले आर्टेमिसिनिन प्रतिरोध की स्थिति देखी गई थी, जो तेजी से फैलकर एक बड़ी समस्या बन गई। अब वेलकम सेंगर इंस्टिट्यूट के डॉ. रिचर्ड पियरसन का मानना है कि पूर्वी अफ्रीका में भी ऐसा ही हो सकता है, जिससे मलेरिया का उपचार और भी मुश्किल हो जाएगा।

यूनिवर्सिटी ऑफ हर्टफोर्डशायर की डॉ. एलेना पांस ने इस प्रवृत्ति को “बेहद चिंताजनक” बताया और कहा कि अफ्रीका की उच्च मलेरिया दर के कारण प्रतिरोध पूरे महाद्वीप में तेजी से फैल सकता है।

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