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भारतीय वैज्ञानिकों की नई जीन थेरेपी से हीमोफीलिया के इलाज में क्रांति

नई जीन थेरेपी से हीमोफीलिया के इलाज में क्रांति

क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (CMC), वेल्लोर के वैज्ञानिकों ने भारत में पहली बार हीमोफीलिया A (Haemophilia A) के इलाज के लिए एक सफल जीन थेरेपी ट्रायल किया है। यह ट्रायल न केवल भारत बल्कि वैश्विक चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। इस थेरेपी में लेंटिवायरल वेक्टर तकनीक का उपयोग किया गया है, जो रोगियों को बार-बार क्लॉटिंग फैक्टर इंजेक्शन की आवश्यकता से मुक्त कर सकती है।

हीमोफीलिया:

हीमोफीलिया A एक दुर्लभ आनुवंशिक विकार है, जिसमें रक्त का थक्का बनाने वाला प्रोटीन, फैक्टर VIII, पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता।

जीन थेरेपी का कार्यक्षेत्र

इस जीन थेरेपी में लेंटिवायरल वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है।

क्लिनिकल ट्रायल की प्रमुख बातें

  1. स्थान: CMC वेल्लोर में भारत का पहला मानव जीन थेरेपी ट्रायल किया गया।
  2. सहयोग: इस प्रोजेक्ट में भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT), इनस्टेम, बेंगलुरु, और एमोरी यूनिवर्सिटी, अमेरिका ने सहयोग किया।
  3. परिणाम:
    • 5 मरीजों पर ट्रायल किया गया, जिनमें 12 महीने तक किसी भी प्रकार का रक्तस्राव नहीं हुआ।
    • मरीजों ने अपनी दिनचर्या में सुधार और बेहतर जीवन गुणवत्ता की रिपोर्ट की​
  4. भविष्य की योजना:
    • जल्द ही भारत में लेंटिवायरल वेक्टर का उत्पादन शुरू होगा।
    • इसके बाद बड़े स्तर पर क्लिनिकल ट्रायल की योजना बनाई गई है।

हीमोफीलिया का आर्थिक प्रभाव और उपचार लागत

भारत में जीन थेरेपी की भूमिका

डेटा और आंकड़े

पैरामीटर   आंकड़े
भारत में हीमोफीलिया मरीज   1.36 लाख (अनुमानित)
पंजीकृत हीमोफीलिया मरीज   21,000 (20%)
हीमोफीलिया का वैश्विक बोझ   4 लाख
वर्तमान इलाज की वार्षिक लागत   ₹10-20 लाख प्रति मरीज

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निष्कर्ष

यह जीन थेरेपी भारत के लिए चिकित्सा क्षेत्र में एक नई शुरुआत है।

इस उपलब्धि से यह उम्मीद जागती है कि भविष्य में जीन थेरेपी से अन्य आनुवंशिक बीमारियों का भी इलाज संभव होगा।

संदर्भ

  1. BioSpectrum India
  2. World Federation of Hemophilia

 

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