क्या डॉक्टर्स मरीजों को बताएंगे दवाओं के साइड इफेक्ट्स
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर आधारित है, जिसमें डॉक्टरों को दवाओं के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में मरीजों को जानकारी देने के लिए बाध्य करने की याचिका खारिज कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर 2024 को इस याचिका को “व्यावहारिक नहीं” बताते हुए खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि डॉक्टरों को दवाओं के संभावित साइड इफेक्ट्स के बारे में मरीजों को सूचित करना चाहिए, ताकि मरीज सही निर्णय ले सकें। हालांकि, कोर्ट ने यह माना कि ऐसा करने से डॉक्टरों के लिए रोज़ाना के मरीजों का इलाज करना कठिन हो जाएगा और इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत मामले बढ़ सकते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस याचिका को पहले खारिज कर दिया था, यह कहते हुए कि दवाओं की जानकारी देना निर्माता और फार्मासिस्ट की जिम्मेदारी है, और इसे कानून में बदलने का काम विधायिका का है, न कि न्यायपालिका का।
क्या था मामला?
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि मरीजों को यह जानने का हक है कि जो दवा वे ले रहे हैं, उसके क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि डॉक्टर्स के लिए दवाओं के साइड इफेक्ट्स की जानकारी देने के लिए एक प्रिंटेड फॉर्मेट का उपयोग करना आसान रहेगा।
हालांकि, बेंच ने कहा कि यदि ऐसा किया गया तो एक सामान्य डॉक्टर एक दिन में केवल 10-15 मरीज ही देख पाएंगे। इससे मेडिकल नेग्लिजेंस के मामलों में उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत मुकदमे बढ़ सकते हैं।
WHO का हवाला
प्रशांत भूषण ने यह भी तर्क दिया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दवाओं के गलत उपयोग से मरीजों को होने वाले नुकसान को लेकर चिंता जताई है।
अदालत की टिप्पणी
बेंच ने यह भी उल्लेख किया कि डॉक्टर पहले से ही उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे में आने से असंतुष्ट हैं। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा, “क्षमा करें, लेकिन यह निर्देश नहीं दिया जा सकता।”
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने पहले ही कहा था कि मरीजों को दवाओं के साथ दी जाने वाली पैकेजिंग में शामिल जानकारी पर्याप्त है। यह जिम्मेदारी निर्माता और फार्मासिस्ट पर डाली गई है। कोर्ट ने कहा कि यह याचिका न्यायिक कानून बनाने जैसा होगा, जो सही नहीं है।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि यदि मरीजों को दवाओं के साइड इफेक्ट्स के बारे में बताया जाए, तो वे सूचित निर्णय ले सकेंगे कि उन्हें दवा लेनी चाहिए या नहीं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई खाली स्थान (वैक्यूम) नहीं है जहां यह जानकारी उपलब्ध नहीं हो रही हो।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि यह मांग व्यावहारिक नहीं है और पहले से मौजूद व्यवस्था पर्याप्त है।
सोर्स:- · Verdictum
ps://www.verdictum.in/court-updates/supreme-court/sc-dismisses-plea-to-mandate-doctors-to-disclose-all-drug-risks-side-effects-to-patients-1557910): सुप्रीम कोर्ट के फैसले और याचिका के तर्कों की पूरी जानकारी के लिए।
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- LiveLaw: याचिका, हाई कोर्ट के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के तर्क पर विस्तार।