अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा बयान देते हुए संकेत दिया है कि यदि वे फिर सत्ता में लौटते हैं तो दवाओं पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाएंगे। उनका उद्देश्य विदेशी फार्मा कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन के लिए प्रेरित करना और घरेलू दवा उद्योग को मजबूती देना है।
अमेरिका में दवाओं की ऊंची कीमत पर नाराजगी

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अन्य देश दवा कंपनियों पर कीमतें कम करने का दबाव बनाते हैं जिससे वे वहां सस्ती दवाएं बेचती हैं लेकिन अमेरिका में मरीजों को वही दवाएं बहुत महंगी मिलती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि लंदन में जो दवा 88 डॉलर में मिलती है, वही अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। ट्रंप ने ‘जैसे को तैसा’ नीति अपनाते हुए कहा कि अमेरिका उन देशों पर वही टैरिफ लगाएगा जो वे अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं। उन्होंने भारत और चीन का विशेष रूप से उल्लेख किया।
ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 से भारत और चीन पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की यह कहते हुए कि अमेरिका अब व्यापार में किसी भी देश की मनमानी बर्दाश्त नहीं करेगा।
भारत को हो सकता है नुकसान
अगर अमेरिका वाकई दवाओं पर टैरिफ लगाता है तो भारतीय दवा कंपनियों पर इसका असर पड़ सकता है। भारत, अमेरिका को सबसे ज्यादा जेनेरिक दवाएं निर्यात करने वाले देशों में शामिल है – लगभग 40% जेनेरिक दवाएं भारत से ही जाती हैं। ऐसे में टैरिफ से भारत के फार्मा निर्यात पर दबाव आ सकता है।
टैरिफ से अमेरिकी मरीजों पर भी असर की आशंका
विशेषज्ञों ने ट्रंप के इस प्रस्ताव पर चिंता जताई है। फार्मा कंपनी एली लिली के सीईओ डेविड रिक्स के मुताबिक टैरिफ लगाने से रिसर्च और नई दवाओं के विकास में बाधा आ सकती है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली सस्ती जेनेरिक दवाएं मुख्य रूप से भारत और चीन से आती हैं। यदि इन पर शुल्क लगाया गया तो दवाओं की कीमतों में भारी बढ़ोतरी संभव है जिससे अमेरिकी मरीजों को ही ज्यादा खर्च उठाना पड़ेगा।
भारत की दवाओं से अमेरिका को होती है बड़ी बचत
भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है और अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम को अरबों डॉलर की बचत कराता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिर्फ साल 2022 में भारत की दवाओं की वजह से अमेरिका ने करीब 219 बिलियन डॉलर की बचत की थी।
ट्रंप की टैरिफ नीति: पिछला रिकॉर्ड
2018 में, ट्रंप प्रशासन ने 360 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाए, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, स्टील, और अन्य उपभोक्ता वस्तुएं शामिल थीं।इसके जवाब में, चीन ने 110 अरब डॉलर से अधिक अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाया जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध शुरू हुआ।
ट्रंप ने स्टील पर 25% और एल्युमीनियम पर 10% टैरिफ लगाए जिससे यूरोपीय संघ, कनाडा, और मैक्सिको जैसे देशों के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा।
भारत की फार्मा इंडस्ट्री कितनी बड़ी है?
भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी दवा उत्पादक और सबसे बड़ी जेनेरिक दवा निर्माता (Generic Medicine Producer) है। देश की फार्मा इंडस्ट्री का कुल मूल्य 50 बिलियन डॉलर से अधिक है और इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है।
- भारत दुनिया की 20% जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति अकेले करता है।
- साल 2022 में, अमेरिका ने भारत की सस्ती जेनेरिक दवाओं से लगभग 219 बिलियन डॉलर की हेल्थकेयर लागत की बचत की थी।
- भारत की दवाइयों का 40% से अधिक हिस्सा अमेरिका को निर्यात किया जाता है।
- इंडियन फार्मा कंपनियां हर साल अमेरिका में लगभग $6-8 बिलियन की जेनेरिक दवाएं निर्यात करती हैं।
- प्रमुख भारतीय फार्मा कंपनियां: Reddy’s Laboratories, Sun Pharma, Cipla, Lupin,Zydus Lifesciences
- फार्मा सेक्टर भारत में 30 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
भारत, वैक्सीन उत्पादन में भी ग्लोबल लीडर है — इसे “फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड” कहा जाता है।
स्रोत: Invest India, Economic Times, New York Times, USFDA, BBC
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