मलेरिया रोकथाम में बायोपेस्टिसाइड  (Biopesticides): मच्छरों पर प्राकृतिक समाधान

मलेरिया: वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती

मलेरिया हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है, खासकर विकासशील देशों में। रासायनिक कीटनाशकों के अधिक उपयोग से मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।मलेरिया जैसे मच्छर-जनित रोग लाखों लोगों के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में मलेरिया के 247 मिलियन मामले दर्ज किए गए और 6,19,000 लोगों की मौत हुई। हालांकि, एक नई तकनीक ने मलेरिया रोकथाम में उम्मीद जगाई है—प्राकृतिक बायोपेस्टिसाइड (Biopesticides) । यह पर्यावरण-अनुकूल और प्रभावी समाधान मच्छर-जनित बीमारियों के प्रसार को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है।

Natural Biopesticides

प्राकृतिक बायोपेस्टिसाइड (Natural Biopesticides) : क्या है खास?

प्राकृतिक बायोपेस्टिसाइड की खासियत यह है कि ये जैविक स्रोतों से बनाए जाते हैं, जैसे कि बैक्टीरिया (Bacillus thuringiensis israelensis – Bti), कवक (Metarhizium anisopliae) और पौधों के प्राकृतिक यौगिक (नीम का तेल) । इनका उद्देश्य पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मच्छरों और अन्य कीटों को नियंत्रित करना है। यह मिट्टी, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषित किए बिना लक्षित कीटों पर प्रभाव डालते हैं। बायोपेस्टिसाइड कीटों की प्रजनन क्षमता को कम कर सकते हैं और उनके जीवनचक्र को बाधित करते हैं, जिससे इनकी आबादी में तेज़ी से गिरावट होती है। इनके उपयोग से रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम होती है, और मच्छरों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने की संभावना भी घट जाती है। मानव और पालतू जीवों के लिए सुरक्षित होने के साथ-साथ ये कृषि और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों में उपयोगी साबित हो रहे हैं। मलेरिया के प्रसार को रोकने में ये एक टिकाऊ और प्रभावी विकल्प प्रदान करते हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी है।

हालिया शोध से पता चलता है कि प्राकृतिक बायोपेस्टिसाइड्स ने मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की आबादी को 85% तक कम कर दिया है। फील्ड परीक्षण मुख्यतः अफ्रीका और दक्षिण एशिया के मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में किए गए, जहां इन बायोपेस्टिसाइड्स ने मलेरिया के मामलों में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की।

ये बायोपेस्टिसाइड्स इंसानों और पर्यावरण के लिए सुरक्षित साबित हुए हैं। इनका उपयोग टिकाऊ और प्रभावी मलेरिया नियंत्रण रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, खासकर वहां जहां कीटनाशकों का प्रतिरोध बढ़ा है। इस तकनीक का उपयोग बढ़ने की संभावना है

बायोपेस्टिसाइड को कैसे अपनाएँ?

  1. पायलट प्रोजेक्ट्स: बायोपेस्टिसाइड्स को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर परीक्षण जरूरी हैं। इससे उनकी प्रभावशीलता और संभावित चुनौतियाँ समझी जा सकती हैं।
  2. जन जागरूकता: स्थानीय समुदायों को बायोपेस्टिसाइड्स के लाभ और उपयोग के बारे में शिक्षा देना महत्वपूर्ण है, ताकि वे इसका सही उपयोग करें और इसके पर्यावरणीय लाभों को समझें।
  3. सरकार और स्वास्थ्य संगठनों का सहयोग: बायोपेस्टिसाइड्स को व्यापक रूप से अपनाने के लिए नीति निर्माण और वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों के सहयोग से इनकी प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकती है।
  4. नवाचार: बायोपेस्टिसाइड्स के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने से नई तकनीकों और बेहतर उत्पादों का विकास हो सकता है, जो मलेरिया और अन्य बीमारियों के नियंत्रण में सहायक हो।

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निष्कर्ष

प्राकृतिक बायोपेस्टिसाइड मलेरिया और अन्य मच्छर-जनित बीमारियों के खिलाफ एक प्रभावी समाधान है। इसका सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल और दीर्घकालिक प्रभाव इसे वैश्विक स्वास्थ्य रणनीति का अहम हिस्सा बना सकता है। सही जागरूकता और नीति-निर्माण के माध्यम से, इसे विश्व स्तर पर अपनाया जा सकता है।

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