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नई रिसर्च:90 साल से अधिक उम्र के लोगों पर हाई ब्लड प्रेशर का दिमाग पर असर – नई स्टडी के हैरान करने वाले नतीजे

90 साल से अधिक उम्र के लोगों पर हाई ब्लड प्रेशर का दिमाग पर असर

क्या 90 साल से ऊपर के बुजुर्गों में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियाँ उनके मस्तिष्क के लिए उतनी खतरनाक होती हैं जितनी युवा उम्र में? कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, इरविन (UC Irvine) द्वारा की गई एक नई स्टडी ने इस सवाल का जवाब दिया है और साथ ही कुछ चौंकाने वाले निष्कर्ष भी सामने लाए हैं। इस रिसर्च ने पारंपरिक चिकित्सा सिद्धांतों को चुनौती दी है, जिससे यह साबित हुआ है कि उम्र बढ़ने के साथ इन जोखिमों का प्रभाव बदल सकता है। क्या इस स्टडी से हमें नया दृष्टिकोण मिल सकता है? जानिए इस स्टडी के नतीजों और इसके महत्व के बारे में।

स्टडी का उद्देश्य और प्रक्रिया

यह स्टडी University of California, Irvine के वैज्ञानिकों द्वारा की गई थी, और इसका मुख्य उद्देश्य यह जांचना था कि हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी सामान्य कार्डियोवेस्कुलर समस्याएँ, जो आमतौर पर युवाओं में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाती हैं, क्या 90 साल और उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों में भी मस्तिष्क पर उतना ही प्रभाव डालती हैं। इसके लिए वैज्ञानिकों ने National Institute on Aging’s 90+ Study में शामिल 267 प्रतिभागियों के डेटा का विश्लेषण किया। यह स्टडी एक लंबे समय तक चलने वाला शोध प्रोजेक्ट है, जो सबसे बुजुर्ग आबादी (90 वर्ष और उससे अधिक) पर केंद्रित है।

रिसर्च टीम ने इस डेटा का विश्लेषण करते समय उम्र, लिंग और शिक्षा जैसे प्रमुख कारकों को ध्यान में रखा और सांख्यिकीय मॉडल्स का उपयोग किया। उनका मुख्य उद्देश्य यह था कि वे यह समझ सकें कि क्या पारंपरिक कार्डियोवेस्कुलर जोखिम जैसे हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज 90 वर्ष से अधिक उम्र में मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं पर विकृतियाँ उत्पन्न करती हैं और क्या इन कारकों का मानसिक स्वास्थ्य पर वही असर होता है जो युवाओं में देखा जाता है।

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स्टडी के नतीजे

इस स्टडी में पाया गया कि हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज 90 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के मस्तिष्क पर उतना प्रभाव नहीं डालते, जितना पहले सोचा गया था। इसके अलावा, कुछ दवाइयाँ जैसे Diuretics, Beta Blockers, और Vasodilators ने मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद की। Diuretics ने धमनियों के सख्त होने की संभावना को कम किया, जबकि अन्य दवाइयाँ मस्तिष्क में प्रोटीन के जमाव को घटाने में सहायक पाई गईं।

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