प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना: क्या सच में जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 90% तक सस्ती होती हैं?

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना

आज के समय में अगर आप महँगी दवाइयों से परेशान है तो यह आपके जानकारी के कमी के वजह से है जी हा दोस्तों आज के समय में भारत में लाखों लोग महंगी ब्रांडेड दवाओं की वजह से आर्थिक बोझ झेलते हैं। कई बार जरूरतमंद लोग सही इलाज न मिलने के कारण अपनी सेहत से समझौता करने को मजबूर हो जाते हैं।

इसी समस्या का हल निकालने के लिए सरकार ने 2008 में एक बेहतरीन योजना शुरू की थी “जन औषधि योजना” सरकार ने जनऔषधि योजना के तहत सस्ती जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए यह पहल शुरू की। लेकिन उस समय यह योजना बहुत प्रभावी नहीं रही और ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पाई।

फिर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे नए स्वरूप में दोबारा लॉन्च किया और इसका “जन औषधि योजना” नाम बदलकर “प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना” (PMBJP) रख दिया। इसके बाद इस योजना को और मजबूत किया गया जिससे देशभर में अधिक संख्या में जन औषधि केंद्र खुल सके।

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना

जन औषधि केंद्र एक सरकारी फार्मेसी है जहां सस्ती लेकिन उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यह केंद्र प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत संचालित होते हैं जिसका उद्देश्य देशभर में किफायती और विश्वसनीय दवाइयों को आम लोगों तक पहुंचाना है।

जेनेरिक दवाएं वे होती हैं जि में वही फार्मूला (Active Ingredient) मौजूद होता है जो महंगी ब्रांडेड दवाओं में होता है लेकिन इनकी कीमत बहुत कम होती है। जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली ये दवाएं ब्रांडेड दवाइयों से 50% से 90% तक सस्ती होती हैं जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत मिलती है।

यह केंद्र शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में स्थापित किए जा रहे हैं ताकि देश के हर कोने तक दवाइयां पहुंचाई जा सकें। यहां पर एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, गैस्ट्रिक, मल्टीविटामिन और अन्य आवश्यक दवाएं उपलब्ध होती हैं। इसके अलावा सरकार कुछ केंद्रों पर सर्जिकल आइटम और महिला स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी चीजें भी उपलब्ध करवा रही है।

सरकार की इस योजना से न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती बनाया जा रहा है बल्कि यह रोजगार और स्वरोजगार का एक बड़ा अवसर भी प्रदान कर रही है। कोई भी योग्य व्यक्ति सरकार की शर्तों को पूरा करके जन औषधि केंद्र खोल सकता है और एक लाभदायक व्यवसाय शुरू कर सकता है।

जन औषधि केंद्र से मिलने वाले लाभ

  • सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं:- जन औषधि केंद्रों पर मिलने वाली जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 50% से 90% तक सस्ती होती हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को भारी आर्थिक राहत मिलती है।
  • जीवनरक्षक दवाओं तक आसान पहुंच:- डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक, मल्टीविटामिन और सर्जिकल उत्पाद जैसी हजारों आवश्यक दवाएं इन केंद्रों पर आसानी से मिलती हैं।
  • महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष उत्पाद:- यहां महिलाओं के लिए सेनेटरी नैपकिन और बच्चों के लिए पोषण से जुड़ी कई दवाएं और सप्लीमेंट भी सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • स्वास्थ्य बजट में राहत:- – कम कीमत की दवाओं के कारण हर साल लाखों परिवारों के चिकित्सा खर्च में भारी कटौती हो रही है, जिससे वे अपनी बचत को अन्य जरूरी जरूरतों में उपयोग कर सकते हैं।
  • रोजगार और स्वरोजगार के अवसर:- कोई भी योग्य व्यक्ति सरकार की शर्तों को पूरा कर जन औषधि केंद्र खोल सकता है, जिससे उसे एक लाभदायक बिजनेस का अवसर भी मिलता है। सरकार 5 लाख तक की वित्तीय सहायता भी देती है।

जन औषधि केंद्र न केवल लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध करा रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को किफायती और सुलभ बनाकर देश के विकास में भी योगदान दे रहे हैं।

हाल ही में प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2025-26 में प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के तहत जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है। वर्तमान में देशभर में 10,000 से अधिक जन औषधि केंद्र संचालित हैं, और सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2027 तक इनकी संख्या बढ़ाकर 25,000 की जाए। इसके अलावा, सरकार ने जन औषधि केंद्र खोलने के लिए प्रोत्साहन राशि में वृद्धि की है। अब, नए केंद्र खोलने पर सरकार द्वारा 2.5 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे अधिक से अधिक उद्यमी और संस्थाएं इस पहल से जुड़ सकें।

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