मानव इतिहास की नई खोज
साइबेरिया की एक गहरी और प्राचीन गुफा में मिले मानव अवशेषों ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। डीएनए परीक्षण से पता चला है कि इन अवशेषों से एक अनजानी मानव प्रजाति का संकेत मिला है जो हो सकता है कि ‘होमो इरेक्टस’ रही हो एक ऐसी प्रजाति जो आज से लाखों साल पहले एशिया और यूरोप के विशाल हिस्सों में फैली हुई थी।
इन महत्वपूर्ण खोजों को मशहूर विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट बताती है कि डेनिसोवा नाम की इस गुफा में कई अलग-अलग मानव प्रजातियों के अवशेष मिले हैं जिससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि हजारों वर्षों पहले यहां अलग-अलग समय पर विभिन्न मानव प्रजातियाँ रहती थीं।
डेनिसोवा: एक नई प्रजाति
वर्ष 2010 में इसी गुफा में एक छोटी सी उंगली की हड्डी और दांत पाए गए थे। जब इनका जीन परीक्षण किया गया तो वैज्ञानिकों को पता चला कि यह अवशेष निएंडरथल और आधुनिक मानव दोनों से अलग एक तीसरी प्रजाति से संबंधित हैं। इस नई प्रजाति को गुफा के नाम पर ‘डेनिसोवन’ कहा गया।
जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस गुफा से मिली एक हड्डी से डीएनए निकालकर एक संपूर्ण जीनोम तैयार किया जिससे कई नई बातें सामने आयी। उदाहरण के लिए निएंडरथल प्रजाति की एक महिला के जीनोम से संकेत मिला कि वह करीबी रिश्तेदारों से जन्मी थी संभवतः भाई-बहन या चाचा-बुआ जैसे पारिवारिक संबंधों से।
गुफाओं में मिली वस्तुओं की जानकारी
साइबेरिया की डेनिसोवा गुफा से वैज्ञानिकों को सिर्फ हड्डियाँ ही नहीं बल्कि कुछ ऐसे उपकरण और वस्तुएं भी मिली हैं जो यह दर्शाती हैं कि डेनिसोवन प्रजाति न सिर्फ विकसित सोच वाली थी बल्कि उनके पास औजार बनाने, गहने पहनने और संभवतः कला की समझ भी थी। खुदाई के दौरान शोधकर्ताओं को एक हड्डी की सुई, पत्थर से बने औजार, और पॉलिश किए गए गहनों के टुकड़े मिले हैं।
इनमें सबसे दिलचस्प खोजों में से एक है हड्डी की बनी सुई, जिसकी उम्र लगभग 50,000 साल आंकी गई है। यह इस बात का प्रमाण है कि डेनिसोवन लोग कपड़े सिलते थे और ठंडे मौसम में खुद को ढकने के लिए वस्त्र बनाते थे। इसके अलावा सागेदोनाइट पत्थर से बना एक अंगूठी जैसा गहना भी मिला है जिसे काफी परिष्कृत ढंग से तराशा गया था यह बताता है कि डेनिसोवन सौंदर्य और सजावटी वस्तुओं में रुचि रखते थे।
गहराता मानव विकास का रहस्य
इन डीएनए अध्ययनों से यह भी पता चला कि निएंडरथल और डेनिसोवन दोनों की उत्पत्ति एक समान पूर्वज से हुई थी जो लगभग चार लाख साल पहले आधुनिक मानव की शाखा से अलग हुआ। इसके बाद डेनिसोवन और निएंडरथल प्रजातियाँ आपस में भी तीन लाख साल पहले अलग हो गईं।
लेकिन सबसे हैरान करने वाला खुलासा तब हुआ जब वैज्ञानिकों को संकेत मिले कि डेनिसोवन प्रजाति ने एक और रहस्यमयी चौथी मानव प्रजाति के साथ संबंध बनाए थे। यह प्रजाति अन्य सभी ज्ञात मानव समूहों से भी पहले लगभग दस लाख साल पहले अलग हो चुकी थी और संभवतः यही ‘होमो इरेक्टस’ रही हो।
हमारी आनुवंशिक विरासत में उनकी छाप
हालांकि निएंडरथल और डेनिसोवन आज के युग में नहीं बचे हैं लेकिन उनके कुछ आनुवंशिक निशान आज भी हमारे भीतर मौजूद हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वर्तमान समय के अधिकांश गैर-अफ्रीकी लोगों के डीएनए में 1.5 से 2.1 प्रतिशत हिस्सा निएंडरथल का है। वहीं ऑस्ट्रेलिया न्यू गिनी और कुछ प्रशांत द्वीपों के निवासियों में डेनिसोवन प्रजाति के जीन की उपस्थिति पाई गई है।
कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मॉन्टगॉमरी स्लाटकिन के अनुसार, “यह अध्ययन यह दिखाता है कि उस समय मानव इतिहास बेहद जटिल और दिलचस्प था।” वहीं प्रोफेसर पैबो का मानना है कि यही जीनोम विशेषताएँ हमें बाकी सभी लुप्त या जीवित प्रजातियों से अलग बनाती हैं और शायद इसी के कारण पिछले एक लाख सालों में हमारी सभ्यता संस्कृति और तकनीक इतनी विकसित हो पाई।
मानव विकास का संक्षिप्त इतिहास
वैज्ञानिक शोधों के अनुसार आधुनिक मानव यानी “होमो सेपियन्स” की उत्पत्ति लगभग 3 लाख साल पहले अफ्रीका में हुई थी। इसके पहले भी पृथ्वी पर कई अन्य मानव प्रजातियाँ मौजूद थीं जैसे होमो इरेक्टस, निएंडरथल और डेनिसोवन, जो अलग-अलग समय और स्थानों पर विकसित हुईं और जीवित रहीं। निएंडरथल मुख्यतः यूरोप और पश्चिमी एशिया में रहते थे जबकि डेनिसोवन प्रजाति के अवशेष साइबेरिया और दक्षिण एशिया में मिले हैं। इन सभी प्रजातियों ने समय-समय पर एक-दूसरे के साथ संपर्क और संबंध बनाए जिसके प्रमाण आधुनिक मानव के डीएनए में आज भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे बाकी सभी प्रजातियाँ विलुप्त हो गईं और होमो सेपियन्स ने दुनिया भर में फैलकर सभ्यता की नींव रखी।
स्रोत (Sources)
- Nature Journal – Article on Denisova Cave
- National Geographic Report
- Max Planck Institute for Evolutionary Anthropology
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