Passive Smoking एक खतरनाक सच
एक खतरनाक सच यह है कि जो लोग खुद सिगरेट नहीं पीते वो भी उससे उतना ही नुकसान उठा सकते हैं कभी-कभी उससे भी ज़्यादा। जो सिगरेट का सेवन करते है। लोग न चाहते हुए भी धुएं को लेते है इस स्थिति को Passive Smoking या दूसरे के धुएं का सेवन कहा जाता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि Passive Smoking क्या है ये हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक है।
Passive Smoking क्या है?
जब कोई व्यक्ति सिगरेट, बीड़ी, सिगार या हुक्का पीता है तो उसका धुआं सिर्फ उसके शरीर को ही नुकसान नहीं पहुंचाता वो धुआं हवा में फैलकर आसपास खड़े लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है। यही धुआं दूसरे लोगों के शरीर में सांस के ज़रिए चला जाता है और बिना पीए हुए भी वे धूम्रपान का शिकार बन जाते हैं। इसे ही “ Passive Smoking” या “ Secondhand Smoke” कहा जाता है।
Passive Smoking में दो तरह के धुएं शामिल होते हैं:
- Mainstream Smoke (मुख्य धुआं): जो धुआं स्मोकर अपने मुंह से निकालता है।
- Sidestream Smoke (बगल का धुआं): जो सिगरेट या बीड़ी के जलते हुए हिस्से से सीधे निकलता है। ये ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि इसमें टॉक्सिक गैस के कण ज्यादा होती हैं।
जब ये दोनों तरह का धुआं मिलकर आपके आसपास की हवा को प्रदूषित करते हैं तो आप अनजाने में उसे अपनी सांसों के साथ अंदर ले लेते हैं।
Passive Smoking सबसे ज़्यादा खतरा होता है?
Passive Smoking आपके स्वास्थ्य के लिए एक सीधा और गंभीर खतरा है। रिसर्च से साबित हो चुका है कि जो लोग नियमित रूप से धूम्रपान करने वालों के संपर्क में रहते हैं उन्हें भी वही बीमारियाँ हो सकती हैं जो एक स्मोकर को होती हैं:
- गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान Passive Smoking माँ और बच्चे दोनों के लिए बेहद घातक हो सकती है समय से पहले प्रसव (Preterm Delivery), बच्चे का जन्म कम वजन के साथ, गर्भपात का खतरा बढ़ना, भ्रूण के विकास में रुकावट, नवजात शिशु की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना।
- बच्चों पर असर: बच्चों के शरीर और फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं होते इसलिए उनके लिए Passive Smoking और भी ज़्यादा खतरनाक होती है: दमा (Asthma) और बार-बार खांसी, कान में संक्रमण, निमोनिया और ब्रोंकाइटिस, बौद्धिक विकास में बाधा, स्कूल में उपस्थिति और प्रदर्शन पर असर। नोट:- छोटे बच्चों में अचानक मौत का कारण बनने वाली बीमारी SIDS(Sudden Infant Death Syndrome) भी इससे जुड़ी मानी जाती है।
- फेफड़ों का कैंसर: Passive Smoking से नॉन-स्मोकिंग लोगों में भी कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
- दिल की बीमारियाँ: दिल का दौरा, हाई बीपी और रक्त धमनियों की समस्याएँ।
- सांस लेने में तकलीफ: ब्रोंकाइटिस, एलर्जी और क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज (COPD)।
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार
WHO के अनुसार हर साल लगभग 13 लाख लोगों की मौत Passive Smoking से होती है। पैसिव स्मोकिंग में 250 से ज्यादा जहरीले रसायन होते हैं जिनमें से 50 से अधिक कैंसर पैदा कर सकते हैं।
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